सबके प्राण लेने वाले यमराज ! जब माता अंजना के प्राण लेने पहुंचे ! तो हनुमान जी ने यमलोक में घुसकर ऐसा क्या किया की यमराज डरकर भागने लगे।
दरअसल अंजनेरी पर्वत की एक गुफा में विश्राम करते बाल हनुमान तथा माता अंजना के सामने अचानक एक दिन भैसे पर सवार एक काला पुरुष आ गया और माता अंजना पर अपने अस्त्र से प्रहार करने लगा। यह देख हनुमान जी ने गुस्से से पुछा कौन हो तुम और मेरे माता पर प्रहार क्यों कर रहे हो तो उस भैसे पर सवार काले पुरुष ने बोला - मैं सबका काल यमराज हूँ और अंजना के प्राण लेने आया हूँ। यह सुनते ही हनुमान जी क्रोध से गर्जना करने लगे और कठोर स्वर में यमराज से बोले। यमराज मेरी माँ के प्राण मत लो नहीं तो अच्छा नहीं होगा। इसपर यमराज ने कहा - यह मेरा धर्म है बालक। अंजना का समय पूरा हुआ अब इसे जाना ही होगा।
और इतना कहकर यमराज ने पुनह माता अंजना के प्राण खींचना शुरू कर दिया और कुछ ही समय में यमराज, माता अंजना के प्राण खींच आकाश की ओर उर चले। हनुमान जी रोते बिलखते अपने माँ को उठा रहे थे। क्या हुआ माँ, उठो माँ, कुछ बोलो। हनुमान जी ने माता अंजना को उठाने का बहुत प्रयास किया पर वो उठती कैसे वो तो मर चुकी थी। अब हनुमान जी ने क्रोध से गर्जना करना शुरू किया, यमराज मैं आ रहा हूँ। आज या तो मेरी माँ जीवित होगी या इस संसार से काल का अंत होगा। और इतना कहते ही हनुमान जी ने अपना आकर अत्यंत ही विशाल करना शुरू कर किया।
देखते ही देखते वो बालक हनुमान अब साक्षात् महाकाल का रूप बन गया! उनकी भुजाएं फरकने लगीं और आँखों से अंगारे बरसने लगे। उनके शरीर का तेज इतना भयानक था कि हजारों सूर्य भी फीके पर जाएं। हनुमान जी ने ऐसी भीषण गर्जना की, कि ब्रह्माण्ड कांप उठा !
और अगले ही पल, हनुमान जी ने धरती से ऐसी छलांग लगाई कि आकाश का सीना फट गया ! हनुमानजी अत्यंत ही क्रोधित मुद्रा में तीव्र गति से यमलोक के तरफ जा रहे थे, इससे सभी देवता भयभीत होकर इधर-उधर छुपने लगे। कोई भी क्रोधित हनुमानजी का सामना नहीं करना चाहता था। और कुछ ही देर में हनुमानजी यमलोक के द्वार पर पहुंचकर क्रोध से यमराज को पुकारने लगे। "बाहर आओ यमराज ! आज अंजना का पुत्र तुमसे अपनी माँ मांगने आया है !
पर जब हनुमान जी इस पुकार पर कोई नहीं आया तब हनुमान जी ने अपनी गदा से यमलोक की धरती पर ऐसा प्रहार किया की यमलोक में मानो प्रलय आ गया हो। यमलोक में चारो ओर उथल पुथल मच गया। सभी यमलोकवासी डर से इधर उधर भागने लगे। किसी को कुछ समझ नहीं आ रहा था की क्या हुआ है। तभी दो यमदूत भय से कापते हुए यमराज के पास आये और बोले - हे यमराज हमारी रक्षा करे। द्वार पर कोई वानर आया है उसकी गर्जना से यमलोक में प्रलय का माहौल बन गया है।
इसपर यमराज ने कहा उस हनुमान का ये दुस्साहस, मैं आज ही उसका भी अंत कर दूंगा। तुमलोग चिंता मत करो। और क्रोध से गर्जना करते यमराज अपने महिस भैसे पर सवार होकर हनुमान जी से युद्ध के लिए चल दिए। हनुमान जी के सामने आते ही यमराज ने कहा - मूर्ख वानर ! तुम काल को चुनौती दे रहे हो। मृत्यु ही सत्य है, इसे कोई नहीं बदल सकता। अच्छा यही होगा, तुम वापस लौट जाओ। यह सुनते ही हनुमान जी का संयम टूट गया और उन्होंने गरजते हुए कहा। मैं अंतिम चेतावनी देता हूँ, मेरी माँ के प्राण वापस करो या मुझसे युद्ध के लिए तैयार हो जाओ। पर यह सुनते ही जब यमराज ने ठहाके मारकर हसते हुए कहा - अंजना के प्राण भूल जाओ वानर, पर अगर तुम यहाँ से जल्दी नहीं गए तो मैं तुम्हारा प्राण अवश्य ले लूंगा।
यह सुनते हनुमान जी ने अपनी गदा उठाई और फिर शुरू हुआ हनुमान जी तथा यमराज के बीच ऐसा महाप्रलयंकारी युद्ध जिसका आप सभी को इन्तजार था।
यमराज ने अपने सैकरो यमदूतों को आदेश दिया — "बंदी बना लो इस वानर को!" और देखते ही देखते, भयानक चेहरों वाले, हाथों में भाले और पाश लिए लाखों यमदूत हनुमान जी पर टूट परे। पर उन मासूम यमदुतो को सायद पता नहीं था की वे हनुमान जी पर आक्रमण कर के कितनी बरी गलती कर रहे है।
हनुमान जी ने क्रोध से गर्जना करते हुए अपना रूप विशाल किया और यमदुतो की सेना पर काल बनकर टूट परे। कुछ को उन्होंने अपनी मुट्ठी में पकर मसल दिया और कितनो को तो अपने पैरो से ही दबा कर मार डाला। हनुमान जी का ऐसा विकराल रूप देख सभी यमदूत थर थर कांपते हुए डर से इधर उधर भागने लगे। यह देख यमराज ने एक काली तालवर प्रगट कर हनुमान जी पर प्रहार कर दिया। पर हनुमान जी इतने उग्र हो चुके थे की यमराज का वो तलवार जैसे ही उनके पास आया वैसे ही उन्होंने उस तलवार को अपने दोनों हाथो से पकर दो टुकरे में तोर दिया।
यह देख यमराज का क्रोध सातवें आसमान पर जा पहुचा। उसने सोचा यह वानर साधारण शस्त्रों से नहीं मरने वाला। और तब यमराज ने तुरंत अपने मायावी धनुष का आवाहन किया और उस पर एक ऐसा विनाशकारी बाण चढ़ाया जो साक्षात् काल का रूप था। यमराज ने जैसे ही वो भयानक बाण छोरा वो बाण हवा में आते ही हज़ारो बाणो में बदल गया ! वो हजारो बाण तीव्र गति से हनुमान जी ओर बढ़ चले।
यह देख हनुमान जी ने भी अपनी गदा को तेजी से घुमाकर हवा में छोरा और तभी वो गदा अनेक दिव्य गदाओं में बदल गई और काल की भांति यमराज के उस बाण की ओर बढ़ चली ! देखते ही देखते हनुमान जी की हजारो गदाओ ने यमराज के उन हजारो बाणो को नष्ट कर दिया।
अपना यह वार खाली जाता देख यमराज बौखला उठे ! उन्होंने अपनी तंत्र शक्तियों से एक भयानक काली गदा प्रकट की और अपने भैसे से उतर कर हनुमान जी से द्वन्द युद्ध करने लगे। काफी देर चले इस द्वन्द युद्ध के बाद हनुमान जी ने एक ऐसा प्रहार किया की यमराज दूर जा गिरे। हनुमान जी ने जैसे ही यमराज पर पुनह प्रहार करना चाहा यमराज तुरंत गायब हो गए। हनुमान जी को समझ नहीं आया की यमराज कहा गए। जब कुछ देर तक यमराज नहीं आया तो हनुमान जी को लगा सायद यमराज डरकर भाग गया है। पर तभी भैसे पर सवार यमराज पुनह हनुमान जी के समक्ष प्रगट हुआ। और देखते ही देखते दूसरा यमराज तीसरा यमराज, कुछ ही समय में हनुमान जी के समक्ष सैकरो यमराज प्रगट हो चुके थे।
हनुमान जी अचानक इतने सारे यमराज को देख सन्न रह गए। तभी उन सारे यमराजों ने हनुमान जी पर सैकरो अस्त्र एक साथ ही चला दिए और यह देख हनुमान जी क्रोध से तिलमिला उठे। उन्होंने क्रोध से गर्जना करते हुए अपनी गदा को यमलोक की धरती पर ऐसा पटका की यमलोक की धरती प्रलय की भाती डोलने लगी। और इससे यमराज की माया तुरंत ही नष्ट हो गई।
और जब यमराज के सारे प्रयास विफल हो गए तब क्रोध में आकर यमराज ने प्रगट किया अपना वो भयानक यमदण्ड जो किसी के भी प्राण ले सकता था। हनुमान जी ने जैसे ही देखा की यमराज उनपर यमदण्ड से प्रहार करने वाला है उनके क्रोध का ठिकाना न रहा। उन्होंने अपना विकराल रूप लेना शुरू किया। उधर यमराज ने अपने यमदण्ड को घुमाकर हनुमान जी की ओर चला दिया। यमदण्ड को काल की चरम शक्ति थी तेजी से हनुमान जी की ओर बढ़ रहा था इधर हनुमान जी, महाकाल की भाती क्रोध से गर्जना करने लगे और जैसे ही उस भयानक यमदण्ड ने हनुमान जी को बांधने का प्रयास किया, हनुमान जी ने अपने दोनों हाथो से यमदण्ड को पकरकर ऐसा खीचा की उसके टुकरे टुकरे हो गए।
इसके बाद महाकाल रूपी हनुमान जी यमराज को खा जाने वाली दृष्टि से देखते हुए, यमराज की ओर बढे। उनका आकर बढ़ता जा रहा था उनके शरीर के दिव्य प्रकाश निकलने लगा उनका क्रोध से गर्जना करता हुआ विकराल रूप ऐसा था मानो उन्होंने अपना विश्वरूप ले लिया है। यमराज, हनुमान जी का ऐसा रूप देख डर से थर थर कांपने लगे। हनुमान जी अपनी गदा को लहराते हुए महाकाल की भाती यमराज की ओर बढ़ रहे थे। यमराज ये देख डर से इधर उधर भागने लगे, यमराज को अब लगने लगा की अब हनुमान जी उनका संहार कर ही देंगे। अब उन्हें कोई नहीं बचा सकता! इस भयानक दृश्य ने तीनो लोको को हिला दिया और फिर ब्रह्मा जी ने आकर हनुमान जी के क्रोध को शांत करना चाहा पर वे भी असफल रहे।
इतने उग्र हनुमान जी ने गर्जना करते हुए अपनी अंतिम घोषणा की। मुझे मेरी माँ दे दो, नहीं तो आज यमराज अंत निश्चित है। और फिर आगे बढ़ते हुए हनुमान जी ने अपने विशाल मुट्ठी में यमराज को दबा कर जैसे ही अपने गदा से यमराज का अंत करना चाहा! तभी वहां भगवान विष्णु अपने दिव्य चतुर्भुज रूप में प्रगट हो गए और उन्होंने हनुमान जी को माता अंजना के प्राण दे दिए। हनुमान जी ने तीव्र गति माता अंजना के पास आकर जैसे ही उनके प्राण को छोरा माता अंजना जीवित हो उठी और कहा “हनुमान”। यह सुनते ही हनुमान माता अंजना के गले से लिपटकर रोने लगे। और इसप्रकार हनुमान जी ने काल को भी हराकर अपने माता के प्राण बचा लिए।
और इस वीडियो में देखिये की हनुमान जी तथा माता महाकाली, दोनों ही परम शक्तिशाली धर्म की ध्वजा होने के बाद भी ऐसा क्या हुआ की हनुमान जी के पंचमुखी स्वरूप और क्रोध से गर्जना करती माता महाकाली के बीच अत्यंत ही भयानक युद्ध शुरू हो गया। स्क्रीन पर दिख रहे वीडियो पर अभी क्लिक करें! और पूरी कहानी देखे।

